Uttar Pradesh

पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं करेंगी वट पूजा, जानें सही तिथि

कानपुर: वैवाहिक जीवन की खुशहाली और पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं सोमवार को वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करेंगी। हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर यह त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि वट वृक्ष में सृजन और विस्तार के देवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं वृक्ष पर मौली लपेट कर सात जन्मों का पवित्र बंधन बनाए रखने के लिए पूजा करती हैं।

ज्योतिषाचार्य स्वाति सक्सेना ने बताया कि इस बार वट पूजा की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति है लेकिन यह सोमवार को ही मनाया जाएगा। 26 मई को दोपहर 12:12 बजे से मंगलवार सुबह 08: 31 बजे तक वट वृक्ष की पूजा की जाएगी। उदिया तिथि के अनुसार 26 को व्रत और पूजन करना उचित रहेगा। इस दिन महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष का पूजन कर अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि व संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस अमावस्या पर उग्र ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए सप्त अनाज (गेहूं, जौ, दाल, चना, तिल, चावल, मक्का) का दान करते हैं। बरगद की जड़ों में गंगा जल अर्पित करने से ग्रहों की अनुकूलता के साथ जीवन की बाधाएं हटती हैं और सृजनात्मक शक्ति बढ़ती है।

पहली पूजा का होता विशेष महत्व
ज्योतिष पं. दीपक पांडे ने बताया कि नवविवाहिताओं के लिए मायके से आया लहंगा या लाल रंग की साड़ी में पहली बार पूजा करना शुभ माना जाता है। वट वृक्ष की पूजा में खरबूजे का अलग ही महत्व है। विवाहित महिलाओं को यह व्रत अवश्य करना चाहिए। जिन महिलाओं की जन्मपत्रिका में मांगलिक दोष है या अन्य प्रकार की जीवनसाथी संबंधी दोष है तो उन्हें यह पूजा अवश्य करनी चाहिए।

बरगदाही अमावस्या के नाम से भी है प्रचलित
ज्योतिषाचार्य पं. मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि वट सावित्री व्रत को कई जगह बरगदाही अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और डालियों व पत्तियों में भगवान शिव का निवास माना जाता है। मां सावित्री भी वट वृक्ष में निवास करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने मार्कंडेय ऋषि को वट वृक्ष में ही दर्शन दिए थे। इसी वजह से धर्म शास्त्रों में वट वृक्ष का पूजन अत्यंत शुभ माना गया है। पंच गौड़ों के लिए सूर्योदय कालव्यापिनी अमावस्या ग्रहण करने का विधान है और दाक्षिणात्यों के लिए चंद्रोदयव्यापिनी पूर्णिमा ग्रहण की जाती है।

Related Articles

Back to top button