
नई दिल्ली: भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और तेलंगाना के एम्स-बिबिनगर ने मिलकर पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित कार्बन फाइबर से बना कृत्रिम पैर तैयार किया है। यह आधुनिक तकनीक से बना हुआ एडीआईडीओसी (इंडिजीनस्ली डिवेलप्ड ऑप्टिमाइज़्ड कार्बन फुट प्रोस्थेसिस) न सिर्फ हल्का और मजबूत है, बल्कि आम लोगों की पहुंच में भी है। इसे सोमवार को डीआरडीएल के निदेशक जी. ए. श्रीनिवास मूर्ति और एम्स-बिबिनगर के कार्यकारी निदेशक डॉ. ए संता सिंह ने लॉन्च किया।
क्या है यह नया आविष्कार?
यह कृत्रिम पैर उन्नत कार्बन फाइबर सामग्री से बना है, जो बेहद हल्की, टिकाऊ और लचीलापन रखने वाली होती है। इसे खासतौर पर उन लोगों के लिए बनाया गया है जिनका कोई पैर कट चुका है और उन्हें रोजमर्रा के जीवन में चलने-फिरने में परेशानी होती है। इस पैर को 125 किलो तक वजन उठाने के लिए बायोमैकेनिकल रूप से टेस्ट किया गया है, और यह पूरी तरह सुरक्षित माना गया है।
किसने बनाया यह पैर?
डीआरडीओ की प्रयोगशाला डीआडीएल और एम्स बीबीनगर, तेलंगाना ने इसे मिलकर बनाया है। इसे डीआरडीएल के निदेशक जी. ए. श्रीनिवास मूर्ति और एम्स बिबिनगर के कार्यकारी निदेशक डॉ. अहेंथम संता सिंह ने लॉन्च किया।
कृत्रिम पैग की कितनी है कीमत?
मौजूदा समय में विदेशी कृत्रिम पैरों की कीमत ₹2 लाख तक होती है। लेकिन एडीआईडीओसी की लागत ₹20,000 से कम रखने की योजना है। यानी, अब गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार भी इस तरह के उन्नत पैर का लाभ उठा सकेंगे।