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‘हिमंत सरकार का हथियार लाइसेंस वाला फैसला असम की शांति के लिए खतरा’; विपक्ष ने केंद्र से की ये मांग

गुवाहाटी: हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार ने स्थानीय लोगों को भी हथियार लाइसेंस देने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले को लेकर राज्य में सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है। असम कांग्रेस प्रमुख गौरव गोगोई समेत विपक्षी दलों ने इसकी निंदा की है। विपक्ष का कहना है कि यह लोगों को ध्रुवीकृत करने वाला कदम है। इससे राज्य की कड़ी मेहनत से हासिल की गई शांति खतरे में आ जाएगी। उन्होंने जल्द से जल्द इस फैसले को रद्द करने के लिए केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की है।

असम सरकार ने किया एलान
असम सरकार ने बुधवार को ‘कमजोर और दूरदराज’ क्षेत्रों में रहने वाले असमिया लोगों के लिए हथियार लाइसेंस देने की घोषणा की थी। सीएम सरमा ने इस बाबत कहा था कि कमजोर और दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की मांग की समीक्षा के बाद राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में हथियार लाइसेंस देने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा था कि असम एक बहुत ही अलग और संवेदनशील राज्य है। कुछ क्षेत्रों में रहने वाले असमिया लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और वे लंबे समय से हथियार लाइसेंस की मांग कर रहे हैं। बांग्लादेश में हाल के घटनाक्रमों और संदिग्ध विदेशियों के खिलाफ राज्य सरकार के हालिया अभियान की पृष्ठभूमि में, ऐसे क्षेत्रों में स्वदेशी लोगों को लगता है कि उन पर हमला हो सकता है। ऐसे में सरकार पात्र लोगों को लाइसेंस देने में नरमी बरतेगी। वे मूल निवासी होने चाहिए और राज्य के कमजोर और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय समुदाय से संबंधित होने चाहिए। इससे उन्हें अतिरिक्त साहस मिलेगा।

विपक्ष कर रहा फैसले का विरोध
अब विपक्ष उनके इस फैसले का विरोध कर रहा है। असम कांग्रेस प्रमुख गौरव गोगोई ने बीते दिन ही इस फैसले की निंदा की थी। उन्होंने कहा था कि यह शासन नहीं बल्कि ‘अराजकता और जंगल राज’ की ओर एक खतरनाक कदम है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को तुरंत इस फैसले को वापस लेना चाहिए और लोगों का भरोसा जीतने के लिए जिम्मेदारी से सरकार चलानी चाहिए।

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