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डीजीजीआई ने की छापेमारी, छह शेल कंपनियों से 48 करोड़ रुपये के फर्जी ITC क्लेम पकड़े गए

जीएसटी खुफिया शाखा डीजीजीआई ने राजधानी दिल्ली में कम से कम छह परिसरों पर छापेमारी की। इस तलाशी अभियान में 266 करोड़ रुपये के फर्जी बिल और 48 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) घोटाले का पर्दाफाश किया गया। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। आईटीसी, जीएसटी का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसके तहत कारोबारी अपनी व्यापारिक जरूरतों के लिए खरीदे गए माल या सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी को अपने टैक्स देनदारी से समायोजित कर सकते हैं। यानी, अगर किसी कारोबारी ने कच्चा माल खरीदते वक्त जीएसटी चुकाया है, तो तैयार माल बेचते समय उसे उतने ही टैक्स की छूट मिल सकती है।

यह कार्रवाई डीजीजीआई के बेंगलुरु जोनल यूनिट द्वारा शुरू की गई थी। जांच में सामने आया कि चार कंपनियों ने बिना किसी व्यावसायिक गतिविधि के सैकड़ों करोड़ रुपये के माल और सेवाओं की प्राप्ति दिखाई है।

मास्टरमाइंड को किया गिरफ्तार
जांच से पता चला कि इस पूरे फर्जीवाड़े के पीछे एक चार्टर्ड अकाउंटेंट/ स्टैच्यूटरी ऑडिटर मास्टरमाइंड था। वह खुद कुछ शेल कंपनियों में निदेशक भी रहा था। इन कंपनियों के लेन-देन का प्रबंधन करता था। दस्तावेजों और शेयरहोल्डिंग पैटर्न से उसकी संलिप्तता स्पष्ट हुई है। तलाशी के दौरान, मास्टरमाइंड के ठिकानों से मूल दस्तावेज, जैसे चालान और मुहरें, बरामद की गईं। उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।

सेबी को सौंपी गई जानकारी
डीजीजीआई बेंगलुरु जोनल यूनिट ने इस धोखाधड़ी की व्यापक जांच शुरू कर दी है। इसका सूचीबद्ध कंपनियों में निर्दोष निवेशकों पर प्रभाव पड़ सकता है। बयान में कहा गया है कि डीजीजीआई ने सर्कुलर ट्रेडिंग और फर्जी आईटीसी के जरिए सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा की जा रही जीएसटी धोखाधड़ी के पैटर्न को उजागर किया है। महानिदेशालय ने सेबी अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू करने के लिए हाल ही में सेबी के साथ विशिष्ट जानकारी साझा की है।

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