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सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में मजबूती व स्थिरता बढ़ी, पोर्टफोलियो बैलेंस 2.9 लाख करोड़ रुपये हुआ

देश के अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों (सहकारी बैंकिंग क्षेत्र ) का कुल पोर्टफोलियों बैलेंस मार्च 2025 तक 2.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसमें मार्च 2020 की तुलना में यानी बीते पांच वार्षों में 1.8 गुना वृद्धि हुई है। नेशनल अर्बन को-ऑपरेटिव फाइनेंस एंड डेवलपमें कॉरपोरेशन (एनयूसीएफडीसी) और ट्रांसयूनियन सिबिल (सिबिल) की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

डिजिटलिकरण ने डाला असर
इसमें कहा गया कि बैलेंस पोर्टफोलियो बढ़ने की मुख्य वजह कई उत्पाद कैटेगरी में दोहरे अंकों में वृद्धि साथ ही ऋण की बढ़ती मांग और विस्तृत बाजारों में पहुंच है। देश में डिजिटलिकरण होने की वजह से इन बैंकों के कामकाज में भी बदलाव आया है, जिसमें तकनीक आधारित बदलाव की वजह से नया ग्राहक वर्ग भी बैंकों से जुड़ रहा है।

2030 तक बैंकिंग क्षेत्र में 11.5 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान
रिपोर्ट के अनुसार भारत के 1,472 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक देश की अगली वित्तीय वृद्धि में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। विशेषकर यह बैंक छोटे शहरो, अर्ध शहरी क्षेत्रों में लोगों तक आसान और व्यापक रूप से ऋण की सुलभता में मदद कर रहे हैं। 2030 तक बैंकिंग सेक्टर में हर साल 11.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान है। ऐसे में अर्बन को-ऑपरेटिव बैंको को भारत के समावेशी विकास लक्ष्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए देखा जा रहा है। रिपोर्ट इस बात को मानती है कि स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में इनकी गहरी पकड़ और समुदयों से मजबूत जुड़ाव इन बैंकों को भारत के उधारकर्ताओं को औपचारिक ऋण उपलब्ध करवाने की दिशा में विशेष रूप से सक्षम बनाते हैं।

को-ऑपरेटिव बैंक 9 करोड़ भारतीयों तक पहुंचा रहे सेवाएं
रिपोर्ट के अनुसार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लगभग 9 करोड़ भारतीयों तक अपनी सेवाएं पहुंचाते हैं। भारत की अर्थव्यवस्था जिस तेजी के साथ 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। इसके लिए सूक्ष्म उद्यमियों, स्वरोजगार करने वाले युवाओं, महिला नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहो, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों और पहली बार घर खरीदने वाले प्रत्येक भारतीय को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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