Business

‘टीडीएस रिफंड के लिए ITR दाखिल करने की समयसीमा न हो’, संसदीय समिति ने दिया सुझाव

व्यक्तिगत करदाताओं को बिना किसी जुर्माने के नियत तिथि के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करके स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। नए आयकर विधेयक की समीक्षा करने वाली एक संसदीय समिति ने सोमवार को सुझाव दिया। संसदीय समिति ने यह सुझाव भी दिया कि धार्मिक और परमार्थ न्यासों को दिए गए गुमनाम या गुप्त दान को टैक्स की देनदारी से मुक्त रखा जाना चाहिए।

आयकर विधेयक-2025 की समीक्षा के लिए भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता में लोकसभा की प्रवर समिति का गठन किया गया था। पांडा ने सोमवार को लोकसभा में समिति की 4,575 पन्नों की रिपोर्ट पेश की। समिति ने आयकर विधेयक, 2025 में बदलावों की सिफारिश की है। यह विधेयक छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा। 31 सदस्यों वाली संसदीय समिति ने अपने सुझाव में कहा है कि गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ), विशेष रूप से धर्मार्थ और परमार्थ उद्देश्यों वाले संगठनों के लिए गुमनाम दान पर कर लगाने के संबंध में अस्पष्टता को दूर किया जाना चाहिए।

एनपीओ की प्राप्तियों पर कर लगाने का विरोध
समिति ने गैर-लाभकारी संस्थाओं (एनपीओ) की ‘प्राप्तियों’ पर कर लगाने का विरोध किया, क्योंकि यह आयकर अधिनियम के तहत वास्तविक आय कराधान के सिद्धांत का उल्लंघन है। सुझावों में ‘आय’ शब्द को फिर से लागू करने की सिफारिश की गई है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि केवल एनपीओ की शुद्ध आय पर ही कर लगाया जाए। पंजीकृत एनपीओ को मिलने वाले ‘गुमनाम दान के संबंध में महत्वपूर्ण अंतर’ है, इसे देखते हुए समिति ने सुझाव दिया कि धार्मिक और परमार्थ न्यास (ट्रस्ट), दोनों को ऐसे दान पर छूट दी जानी चाहिए।

धार्मिक व परमार्थ ट्रस्ट के संबंध में एक महत्वपूर्ण चूक हुई: समिति
समिति ने कहा, ‘‘विधेयक का घोषित मकसद इसे सरल बनाना है, लेकिन समिति को लगता है कि धार्मिक व परमार्थ ट्रस्ट के संबंध में एक महत्वपूर्ण चूक हुई है, जिसका भारत के एनपीओ क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर काफी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।’’ आयकर विधेयक, 2025 के खंड 337 में सभी पंजीकृत एनपीओ को मिलने वाले गुप्त दान पर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए स्थापित एनपीओ को ही सीमित छूट दी गई है।

Related Articles

Back to top button