विपक्ष ने ईरान के खिलाफ कार्रवाई में PM को दिया समर्थन, 24 घंटे पहले बना रहे था सरकार गिराने की योजना

इस्राइल ने जब ईरान पर हमले शुरू किए तो उसके करीब 24 घंटे पहले विपक्ष प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार को गिराने की योजना बना रहा था। लेकिन अब जब ईरान के साथ संघर्ष चल रहा है तो विपक्ष ने नेतन्याहू की आलोचना करना बंद कर दिया है और इस संघर्ष में उनका साथ दिया है।
विपक्षी दलों ने पहले नेतन्याहू के फैसलों की यह कहते हुए आलोचना की थी कि वे राजनीति से प्रेरित हैं। अब विपक्ष के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री येर लैपिड ने कहा, ‘अभी राजनीति करने का सही समय नहीं है।’ यह ताजा संघर्ष तब शुरू हुआ, जब इस्राइल ने ईरानी सेना प्रमुखों, यूरेनियम बनाने वाली जगहों और परमाणु वैज्ञानिकों पर हमला किया। इस्राइल का कहना है कि ये हमले इसलिए जरूरी थे, ताकि ईरान को परमाणु बम न बना सके। इस्राइल मानता है कि ईरान अगर परमाणु बम बनाता है तो यह उसके अस्तित्व के लिए बहुत बड़ा खतरा हो सकता है। वहीं, ईरान कहता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है।
ईरानी हमले में पूर्व प्रधानमंत्री लैपिड का घर भी क्षतिग्रस्त
कुछ दिन पहले ही लैपिट ने इस्राइली संसद (जिसे नेसेट कहा जाता है) में खड़े होकर नेतन्याहू को हटाने की मांग की थी। लैपिड ने कहा था, हां, इस सरकार को हटाना जरूरी है, लेकिन अभी देश खतरे में है, तब तक नहीं। यह संघर्ष लैपिड के लिए निजी भी हो गया है, क्योंकि उनके बेटे का घर ईरान के हमले में क्षतिग्रस्त हो गया। घर में उस समय केवल पालतू जानवर थे। इस्राइल में आमतौर पर जब युद्ध होता है, तो सभी नेता सरकार का साथ देते हैं। लेकिन इस बार नेतन्याहू के खिलाफ देश में पहले से काफी ज्यादा आक्रोश था और विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। इसी कारण विपक्ष की ओर से अचानक समर्थन मिलना बहुत बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
20 महीनों से टकराव का सामना कर रहा इस्राइल
पिछले 20 महीनों में इस्राइल को पहले हमास से युद्ध, फिर लेबनान के हिज्बुल्लाह से टकराव और अब ईरान से तनाव का सामना करना पड़ा है। नेतन्याहू पिछले 16 वर्षों से लगभग लगातार प्रधानमंत्री हैं। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और वह दक्षिणपंथी दलों के सहारे सत्ता में हैं। कुछ लोगों का कहना है कि नेतन्याहू जानबूझकर युद्ध को लंबा खींच रहे हैं, ताकि चुनाव टल जाएं और वह सत्ता में बने रहें। हालांकि नेतन्याहू का कहना है कि वह जो कर रहे हैं, वह देश हित में कर रहे हैं।