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भारत में आईफोन बनाने पर एपल को धमका रहे ट्रंप; पर कंपनियां 80% उत्पाद बाहर बना रहीं, क्या है मजबूरी?

जहां एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एपल को भारत में आईफोन का विनिर्माण नहीं करने के लिए धमका रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके देश के आंकड़े मेक इन अमेरिका की पोल खोल रहे हैं। अमेरिकी सरकार की वाणिज्य विभाग की रिपोर्ट पर गौर करें तो अमेरिका की बड़ी कंपनियां से देश के भीतर न के बराबर उत्पाद बना रही है। आंकड़ों के अनुसार वहां की 9 बड़ी कंपनियां अपने 80 फीसदी से अधिक उत्पाद अमेरिका से बाहर बनाती है या बाहरी देशों से खरीदती है। विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया पर शेखी बघारने वाला अमेरिका करीब 425 लाख करोड़ रुपये से अधिक के उत्पाद और सेवाएं, जो भारत की पूरी जीडीपी से भी करीब 32% अधिक है, आयात करता है।

देश में बने महज 46% उत्पाद ही इस्तेमाल कर रहे अमेरिकी
आंकड़ों से पता चलता है कि 2002 में अमेरिका के लोग अपने देश में बने हुए 77% उत्पाद का इस्तेमाल करते थे। लेकिन, 2023 तक आते-आते यह आंकड़ा घटकर महज 46% रह गया। रिपोर्ट के अनुसार 90% से अधिक इलेक्ट्रिक सामान, 50% दवाएं, 75% कपड़े और 60% घरेलू उपयोग की वस्तुओं के लिए अमेरिकियों को आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि, कोरोनाकाल के बाद से अमेरिका में देसी उत्पादों को बढ़ावा देने का चलन बढ़ा है। सरकार ने भी अमेरिका के भीतर ही वस्तुओं के विनिर्माण पर जोर दिया है। लेकिन इस राह का सबसे बड़ा अड़चन है, अमेरिका की भारी-भरकम श्रम लागत। अमेरिका में प्रति घंटे की न्यूनतम मजदूरी भारतीय रुपये में करीब 3,207 रुपये है, जो चीन के 116 रुपये की तुलना में काफी ज्यादा है। यही कारण है कि सरकार की पहल में शामिल होने के बावजूद करीब 300 से अधिक कंपनियां अपने उत्पाद अमेरिका में नहीं बना पा रही।

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