
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), गुरुग्राम जोनल कार्यालय ने माहिरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (पहले मेसर्स साईं आइना फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड के रूप में जाना जाता था), मेसर्स माहिरा बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स जार बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत मामले के संबंध में 557.43 करोड़ रुपये की संपत्ति को अनंतिम रूप से कुर्क किया है।
कुर्क की गई संपत्तियों में सेक्टर 68, सेक्टर 63ए, सेक्टर 103, सेक्टर 104 और सेक्टर-92, सेक्टर-88बी और सेक्टर-95 गुरुग्राम में स्थित 7 अचल संपत्तियां (लगभग 35 एकड़ की आवासीय और वाणिज्यिक भूमि) और विभिन्न कंपनियों से संबंधित लगभग 97 लाख रुपये की सावधि जमा रसीदों (एफडीआर) के रूप में चल संपत्तियां शामिल हैं।
इन कंपनियों ने फर्जी बैंक गारंटी से लाइसेंस लिया था। पहले तो 3700 घर खरीदारों से 616 करोड़ रुपये वसूल लिए। घर खरीदारों को तय समय पर मकान नहीं दिया गया। उक्त पैसे को किन्हीं दूसरे कामों में लगाकर कंपनी ने खुद मुनाफा कमाया।
ईडी ने गुरुग्राम पुलिस द्वारा मेसर्स साईं आइना फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड और संबंधित संस्थाओं के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। आरोपों में कहा गया है कि कंपनी ने बाहरी और आंतरिक विकास कार्यों के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए फर्जी बैंक गारंटी सहित जाली दस्तावेज प्रस्तुत किए थे।
यह धोखाधड़ी, गुरुग्राम के सेक्टर 68, 103 और 104 में वादा किए गए किफायती आवास परियोजनाओं के संबंध में की गई थी। कंपनी ने यहां पर 3700 घर खरीदारों से 616 करोड़ रुपये से अधिक एकत्र किए। हालांकि, कंपनी तय समय सीमा के भीतर घर देने में विफल रही। घर खरीदारों से एकत्रित धन का दुरुपयोग किया गया।
ईडी की जांच में पता चला है कि कंपनी ने संबंधित संस्थाओं से फर्जी चालान के जरिए निर्माण लागत को बढ़ाकर धन की हेराफेरी की। कंपनी के निदेशकों और प्रमोटरों ने निजी लाभ के लिए धन का हेराफेरी की। इसके अलावा, घर खरीदारों से प्राप्त धन को भी ऋण के रूप में अन्य समूह संस्थाओं को हस्तांतरित किया गया, जो वर्षों से बकाया है।